Maa Brahmacharini, worshipped on the 
second day of Chaitra Navratri, is symbolic of the severe penance carried out by Goddess Parvati. After the Kushmanda form, Goddess Parvati took birth at the home of King Himavanth.

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन, हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी ध्यान और आत्म-नियम की देवी हैं। उन्हें अविवाहित रूप में पूजा जाता है, जो देवी पार्वती की अविवाहित रूप हैं। ब्रह्मचारिणी शब्द दो शब्दों का मिश्रण है: ब्रह्मा (तपस्या) और चरणी (आचरण)। इसका अर्थ होता है वह जो दृढ़ता से आचरण करती है।

मां ब्रह्मचारिणी को नंगे पैरों में चलते हुए दिखाया जाता है। उनके दो हाथ होते हैं: दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है।

मां ब्रह्मचारिणी की महत्वपूर्णता: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यक्तियों में तप, त्याग, वैराग्य और संयम जैसे गुण विकसित होते हैं। यह दैवी संबंध न केवल उनके आध्यात्मिक विकास को पोषण देता है, बल्कि उनके नैतिक आचरण को भी समृद्ध करता है, जो उन्हें धार्मिक नैतिकता की ओर मार्गदर्शन करता है। इसके साथ ही, देवी की आशीर्वाद से व्यक्तियों की आकां


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